बच्चे का सपना
रविवार का दिन था दोस्तों के कहने पर अजीत घर से निकाल चुका था.स्टेशन पहुँचा तो देखा कि ट्रेन को आने में दस मिनट का टाइम है .अजीत इधर उधार देख् रहा था कि अचानक एक कोने मेदेखा. एक छोटा बच्चा अपने बाप का हठ थामे कुछ माँगने कि जिद कर रहा है . सोचा बचा है कुछ माँग रहा होगा . हठ थमे बाप का चेहरा देखा तो वोह बच्चे कि माँ किअ तरफ़ देख् रहा था .
मानो बचा जो चिप्स के पैकेट माँग रहा है उसकी माँग बह भी कर रहा हो.
अजीत ने सोचा जाने दो मुझे क्या करना . गरीब बचा है खाने किअ जिद कर रहा है
उसके माँ बाप खिलयेंगे मुझे क्या करना .
तभी उसे अपने बचपन का वोह लम्हा याद आ गया जब वोह भी इसी तरह से जिद करता था.
अछा पैसे कमाने वाला अजीत सीट से खड़ा हुआ
चिप्स का पैकेट लिया और बच्चे के हठ में थम के निकाल गया .
ट्रेन के आने का टाइम हो चुका था .
बच्चे का बाप अभी भी माँ किअ और देख् रहा था इस बात से अनजान किअ बच्चा अपना सपना पा चुका है .
अजीत ट्रेन में चढ़ चुका था और समय ने उसके चेह्रे पर मीठी मुस्कान छोड़ दी थी,
दर्द वही समझ सकते है जिन्होंने दर्द सहा है .
आपने आस्पस्स के बचो का सपना पूरा कर और ख़ुशियाँ बातें ...